The best Side of Shodashi

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पद्माक्षी हेमवर्णा मुररिपुदयिता शेवधिः सम्पदां या

बिंदु त्रिकोणव सुकोण दशारयुग्म् मन्वस्त्रनागदल संयुत षोडशारम्।

काञ्चीवासमनोरम्यां काञ्चीदामविभूषिताम् ।

॥ अथ त्रिपुरसुन्दर्याद्वादशश्लोकीस्तुतिः ॥

In the event the Devi (the Goddess) is worshipped in Shreecharka, it is alleged to be the highest type of worship in the goddess. You will discover sixty four Charkas that Lord Shiva gave into the human beings, in addition to distinct Mantras and Tantras. These were given so the individuals could focus on attaining spiritual benefits.

ॐ ह्रीं श्रीं क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं  सौः

कैलाश पर्वत पर नाना रत्नों से शोभित कल्पवृक्ष के नीचे पुष्पों से शोभित, मुनि, गन्धर्व इत्यादि से सेवित, मणियों से मण्डित के मध्य सुखासन में बैठे जगदगुरु भगवान शिव जो चन्द्रमा के अर्ध भाग को शेखर के रूप में धारण किये, हाथ में त्रिशूल और डमरू लिये वृषभ वाहन, जटाधारी, कण्ठ में वासुकी नाथ को लपेटे हुए, शरीर में विभूति लगाये हुए देव नीलकण्ठ more info त्रिलोचन गजचर्म पहने हुए, शुद्ध स्फटिक के समान, हजारों सूर्यों के समान, गिरजा के अर्द्धांग भूषण, संसार के कारण विश्वरूपी शिव को अपने पूर्ण भक्ति भाव से साष्टांग प्रणाम करते हुए उनके पुत्र मयूर वाहन कार्तिकेय ने पूछा —

लक्षं जस्वापि यस्या मनुवरमणिमासिद्धिमन्तो महान्तः

Celebrated with fervor through Lalita Jayanti, her devotees seek out her blessings for prosperity, wisdom, and liberation, acquiring solace in her different kinds and the profound rituals connected to her worship.

षोडशी महाविद्या : पढ़िये त्रिपुरसुंदरी स्तोत्र संस्कृत में – shodashi stotram

अकचादिटतोन्नद्धपयशाक्षरवर्गिणीम् ।

The philosophical Proportions of Tripura Sundari lengthen further than her physical attributes. She signifies the transformative electric power of splendor, which can direct the devotee within the darkness of ignorance to the light of knowledge and enlightenment.

Right after slipping, this Yoni to the Hill, it transformed right into a stone for the good thing about human being but it's claimed that still secretion of blood prevails periodically as though Goddess menstruates.

पञ्चब्रह्ममयीं वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥५॥

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